मूंगफली की खेती का तिलहन फसलों में काफी महत्वपूर्ण स्थान है। मूंगफली की खेती से लोग अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं।
मूंगफली की खेती से मुनाफा कमाना इतना आसान नहीं है। इसके लिए बहुत सारी चीजों को ध्यान में रखना चाहिए तभी जाकर इससे कमाई की जा सकती है। मूंगफली के दाने पर निर्भर करता है , कि यह कितनी महंगी बेची जाएगी या फिर सस्ती।
बाजार में मूंगफली के तेल और दाने दोनों की ही सालभर मांग रहती है। मूंगफली के दाने को सस्ता प्रोटीन के स्त्रोत के रूप में भी जाना जाता है। मूंगफली का सेवन कसरत करने वाले या फिर जिनको प्रोटीन की कमी है, वह बहुत ज्यादा करते हैं। आज हम इस लेख में बताएंगे कि मूंगफली की खेती से आखिर कैसे बहुत ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है। यह जाने से पहले मूंगफली के बारे में जान लेना आवश्यक है। आप यह जानकर चौक जायेंगे की मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की मुकाबले में 1.3 तथा अंडे के मुकाबले में ढाई गुना ज्यादा रहता है। मूंगफली के दाने में 26% प्रोटीन की और 45% तेल की मात्रा पाई जाती है। इसी वजह से शरीर के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है।
मूंगफली को भारत में काजू के रूप में भी जाना जाता है। सर्दियों में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं क्योंकि यह गरम खाद्य पदार्थ है। इसके अलावा उपवास में भी सेवन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मूंगफली का पौधा उष्णकटिबंधीय होता है। इस फसल की सबसे खास बात यह है कि मूंगफली की खेती रबी, खरीफ व जायद तीनों में कर सकते हैं। मूंगफली की खेती, तिलहन फसलों के अलावा यह ऐसी फसल है जो भारत के 40% क्षेत्र में की जाती है। मूंगफली को सर्वाधिक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और कर्नाटक राज्यों में उगाई जाती है। इन प्रदेशों के अलावा मूंगफली की खेती राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश में भी की जाती है।
भूमि एवं जलवायु
वैसे देखा जाए तो मूंगफली की खेती तो लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है, लेकिन फिर भी इसके लिए उपयुक्त भूमि बलुआर दोमट या हल्की दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी होती है। खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए। अगर मूंगफली की खेती से अच्छा मुनाफा कमाना है तो भारी दोमट मिट्टी का इस्तेमाल ना करें। अगर अच्छी फसल चाहिए तो 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 500 से 1000 मिलीमीटर वर्षा आवश्यक है। मूंगफली की खेती करते समय आप उर्वरक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। एक निश्चित मात्रा में ही उर्वरक का इस्तेमाल किया जाए नहीं तो फसल बिगड़ सकती है। मूंगफली की बुवाई के पश्चात 10 से 15 दिन के अंतराल से सिंचाई करते रहना चाहिए। जिस स्थान पर पानी की कमी होती है वहां पर फूल आते समय, फलों का निर्माण होते समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। ध्यान रहे सिंचाई करते समय पानी खेत के किसी भी स्थान पर अधिक देर नहीं रुकना चाहिए अर्थात पूरा खेत समतल होना अनिवार्य है।
मूंगफली को प्रति कुंटल न्यूनतम मूल्य 3 हजार 550 रुपए तथा अधिकतम मूल्य 6 हजार 512 रुपए में बेचा जा सकता है। देश की मंडियों में मूंगफली का भाव दाना, आकार, नमी, तेल की मात्रा के आधार पर तय होता है।