भारत मे कोरोनावायरस के चलते वित्तीय स्थिति में गिरावट आ गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक के कारण हमारे देश की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार आ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए आरबीआई ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों के साथ कदम मिलाकर आरबीआई ने भारत की इकोनॉमी को सपोर्ट दिया है। आरबीआई के कारण ही इकोनॉमी में जो शॉर्ट प्रेशर आ गया था उसी घटाने में में मदद हुई। सभी प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में क्रेडिट ग्रोथ घटी है।
अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में नॉन फुड क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट आई है जिसके कारण पर्सनल लोन और कृषि लोन में 2020 से कुछ सुधार हुआ है। सर्विस और औद्योगिक सेक्टर में भी क्रेडिट ग्रोथ पहली तिमाही में कुछ बेहतर संभावना दिखाने के बाद घट गई है।
मनी और डेट मार्केट को उदार मॉनिटरी पॉलिसी से मिला सपोर्ट
आरबीआई ने मनी मार्केट और डेट मार्केट को सपोर्ट देने का कार्य किया है। बैंकों का इंटरेस्ट रेट में कमी आई है जिससे ब्याज दरों में गिरावट देखने को मिली है। आरबीआई ने 9 मार्च से लेकर अब तक रेपो रेट को 115 पॉइंट और रिवर्स रेपो को 155 बेसिक प्वाइंट हटा दिया है जिसके कारण सितंबर तक नेट बेसिस पर 1.9 लाख करोड़ रुपए के गवर्नमेंट सिक्योरिटी खरीदी है।
भारत की वित्तीय स्थिति में कोरोना संक्रमण के कारण कमी आ गई थी। लेकिन अब तेजी से सुधार हो रहा है। क्रिसिल रिसर्च के फाइनेंस कंडीशन इंडेक्स से वित्तीय स्थिति के सुधार का पता चलता है। इस सुधार का सबसे बड़ा श्रेय भारतीय रिजर्व बैंक आरबीआई के द्वारा उठाए गए कदमों से पड़ा है।
डिफॉल्ट के बाद देश की वित्तीय स्थिति
देश में कोरोनावायरस के चलते नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों को नगदी की कमी से जूझना पड़ा था जिसके कारण इस साल अप्रैल में देश की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई थी। देश के फाइनेंशियल सेक्टर में भी निचले स्तर लोन क्रोध आ गई थी। सरकार की उधारी पड़े और कॉर्पोरेट ब्रांड मार्केट में बना दबाव भी फाइनेंशियल सेक्टर की समस्या बढ़ा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण बैंकों के लोन ग्रोथ काफी कम हुई है। हमारे देश की स्थिति 2018 में lL &FS की डिफॉल्ट के बाद काफी खराब हो गई थी। नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों की नकदी की कमी के कारण देश की वित्तीय स्थिति खराब हो गई थी। आरबीआई के द्वारा उठाए गए कदमों से देश की वित्तीय स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है।
हमारे देश में इस साल पॉलिसी रेट में कटौती और नगदी के बड़े स्तर में बड़ा फायदा देखने को मिला है। भारत में पॉलिसी रेट में हुई कटौती से बाजारों में ज्यादा नकदी और निवेश और विदेशी मुद्रा के बड़े प्रभाव से वैश्विक स्थितियों को संभाला गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने अक्टूबर 2020 में कहा था कि आरबीआई नगदी तक मार्केट पार्टिसिपेंट को पहुंच और वित्तीय स्थितियों को आसान बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठाने को तैयार है। पॉलिसी रेट में कटौती और नगदी के बड़े स्तर से देश की वित्तीय स्थिति को संभालने में मदद मिली है।