सभी के माता-पिता चाहते हैं, कि उनके बच्चे अपना कैरियर सिविल सर्विस, इंजीनियर, टीचर, डॉक्टर के रूप में बनाएं। जो बच्चे खेल के प्रति आकर्षित रहते हैं, उन पर कोई ध्यान नहीं देता।
खेलने से हमारे शारीरिक स्वस्थ के साथ मानसिक स्वास्थ्य भी स्वस्थ रहता है। अभिभावकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस दिशा में बच्चे की रुचि हो वही उसे आगे ले जा सकती हैं। किसी के दबाव में आकर कोई आगे नहीं बढ़ सकता। समाज में इज्जत, रुतबा, पैसा हम खेल से भी पा सकते हैं और अपने देश, शहर व घर की पहचान भी बना सकते हैं।
इसीलिए हमेशा हमें जिस विषय में रुचि हो उसी में अपना कैरियर बनाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
SGFI (स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया)
- इसमें सबसे पहले लेवल में स्कूल से जिले में सिलेक्शन होता है। ये अगस्त में होता है।
- दूसरे लेवल में नेशनल होता है, जो नवंबर दिसंबर में होता है।
- उसके बाद स्कूल गेम फेडरेशन ऑफ इंडिया का क्लस्टर होता है उसमें जो भी विनर होते हैं उनमें पहले 8 मेडलिस्ट को खेलो इंडिया खेलो में भाग लेने का मौका दिया जाता है।
Junior National
- इसमें under-14, under-16, under-20 और men’s के प्रतिभागी होते है।
- पहले लेवल में स्टेट में टॉप करना पड़ता है।
- फिर अपने-अपने जोन एरिया के हिसाब से जैसे कि भारत में चार जोन है ईस्ट, वेस्ट, नार्थ, साउथ जिस भी जोन में आप आते हो उसमे जूनियर नेशनल खेलना पड़ता है। जो कि नवंबर में होता है।
- इससे तीन मेडलिस्ट को खेलो इंडिया खेलो में भाग लेने का मौका दिया जाता है।
CBSE क्लस्टर
- पहले लेवल में क्लस्टर होता है, जो कि अगस्त या अक्टूबर में होता है।
- दूसरे लेवल में नेशनल होता है जिसके मेडलिस्ट को खेलो इंडिया खेलो भाग लेने का मौका दिया जाता है।
NIDJAM
- पहले लेवल में ओन district गेम होता है।
- इसमें भी प्रतिभागी भाग ले सकता है, जो नेशनल का मेडलिस्ट हो।
- ये नवंबर या दिसंबर में होता है।
- इसके प्रतिभागी मेडलिस्ट भी खेलो इंडिया खेलो में भाग ले सकते हैं।
DAV
- पहले क्लस्टर गेम होता है।
- उसके बाद जोनल गेम होता है।
- उसके बाद नेशनल होता है और इसके मेडलिस्ट भी खेलो इंडिया खेलो में भाग ले सकते हैं।
- आखिरी ऑप्शन होता है जो नेशनल खेले हुए हो और मेडलिस्ट हो वह भी खेलो इंडिया खेलो में ओपन फॉर्म भर कर खेल सकते है।
हमेशा अपनी रुचि की तरफ बढ़े
यदि हम किसी काम को बिना मन के कहते हैं तो उस काम में इतना अच्छा नहीं कर पाते जितना हम रुचि वाले काम में करते हैं। जिस तरीके से हम हर विषय को पास तो कर लेते हैं लेकिन जिस विषय में हमारी रुचि होती है, उसमें हम अच्छे नंबर लेकर आते हैं। वैसे ही हम सारे काम तो कर लेंगे लेकिन जिस फील्ड में हमारी रूचि होगी उस काम को हम एकदम परफेक्ट तरीके से कर पाएंगे। इसीलिए हमें हमेशा अपनी रुचि को ध्यान में रखकर अपने कैरियर को चुनना चाहिए।