योग दिन प्रतिदिन विकसित होता जा रहा है। योग हमारे मन और शरीर के बीच तालमेल का कार्य करता है। यह स्वस्थ जीवन की कला और विज्ञान है। योग हमे नयी ऊर्जा प्रदान करता है।
योग से कई बीमारियों के नियंत्रण में भी लाभ प्राप्त होता है। योग को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी कई प्रयास किये जिससे भारत में योग सफल हो व् ज़्यादा से ज़्यादा लोग इससे लाभान्वित हो।
जानिए योग करने की विधि
योग से पहले हमे अपने शरीर में लचीलापन लाने के लिये कुछ व्यायाम करने होते है। आइये देखते है कैसे
- सीधे खड़े होकर गर्दन को पहले घडी की दिशा में घुमाये उसके बाद उतनी ही बार विपरीत दिशा में।
- सीधा खड़े होकर अपनी कमर को घुमाये।
- अपने हाथो की हथेली को भी मुठ्ठी बन्द कर के पहले घडी की दिशा में, फिर विपरीत दिशा में घुमाएं।
- पैरो के पंजो को भी घड़ी की दिशा में घुमाये, फिर विपरीत दिशा में घुमाएं।
इनका भी करें अभ्यास
- सास को शरीर के अंदर ग्रहण करते हुए अपने दोनों भुजाओं को कंधे के स्तर तक लेकर आए और हथेलियों को नीचे की ओर रखें।
- साँस को शरीर के बाहर छोड़ते हुए घुटनों को मोड़ना चाहिए और अपने शरीर को बैठने की स्थिति में लाना चाहिए।
- अभ्यास की अंतिम स्तिथि में पैर और दोनों जाघ के समांतर होने चाहिए।
- स्वास को शरीर के अंदर ग्रहण करते हुए शरीर को सीधा करना चाहिए।
- हाथों को नीचे वापस आते समय सांस को शरीर के बाहर छोड़ना चाहिए इसे दो बार करें।
लाभ
घुटनों और कूल्हों के जोड़ों को मजबूत बनाता है।
सावधानी
अर्थराइटिस का गंभीर दर्द होने पर इस अभ्यास को नहीं करना चाहिए।
योगासन
खड़े होकर किये जाने वाले आसान
ताड़ासन
- सबसे पहले पैरों पर खड़े होकर दोनों पैरों के बीच 2 इंच की दूरी बनाये।
- दोनों हाथों की उंगलियों को एक दूसरे से आपस में मिलाएं और हथेलियों को बाहर की ओर रखते हुए साँस को शरीर के अंदर लेते हुए, भूजैय को ऊपर की ओर कर के कंधों को एक सीध में लाना चाहिए।
- पैर की एड़ियों को धरती से ऊपर उठाएं और पैर की उंगलियों पर खुद का संतुलन बनाना चाहिए।
- इसी स्तिथि में 15 मिनट रुकना चाहिए।
- सांस छोड़ते हुए को वापस पहले की स्तिथी में आ जाइए।
- अब हाथ के उंगलियों को अलग-अलग करते हुए अंदर ले आना चाहिए।
लाभ
1.इसके अभ्यास से मेरुदंड संबंधित नाड़ियों को मजबूत करने में सहयोग करता है।
- लंबाई बढ़ाने में सहायक है ।
सावधानियां :
हृदय संबंधी समस्याएं की समस्या और चक्कर आने की स्थिति में अंगुलियों पर ऊपर उठने की स्थित से बचना चाहिए।
वृक्षासन
वृक्ष शब्द का अर्थ है पेड़। इस आसन के अभ्यास के अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है इसलिए आसन को यह नाम दिया गया है।
लाभ
- तंत्रिका से सम्बंधित स्नायुयो को बहतर बनाता है।
- शरीर को संतुलित बनाता है। सेहनशीलता और जागरुक्ता बढ़ाता है।
- पैरो की मासपेशियो को गठीला बनाता है।
- लिगामेंट्स का भी कायाकल्प करता है।