सेविंग और इन्वेस्टमेंट का बजट तैयार करके पैसे को सही जगह इन्वेस्ट करना ही अपने लक्ष्यों की पूर्ति करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता है। इसीलिए हमें फाइनेंसियल (लिमिट) सीमा में रहकर सेविंग और इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। अपने घर ख़र्च, पॉलिसी, इन्वेस्टमेंट और सेविंग की जरूरतों के लिए अपने बजट में रहकर टारगेट निर्धारित करें। सारे खर्चो की एक लिस्ट तैयार करें। जो जरूरी खर्चे हो वही करें और बाकी जो खर्चे जरूरी ना हो उनसे बचने के लिए उपाय ढूढ़े। इससे आप पैसे बचाने में काफी हद तक समर्थ हो जाएंगे। बचे हुए पैसे को कई जगह इन्वेस्ट करने की कोशिश करें इससे अच्छा पैसा बचाया जा सकता है।
साल में एक, दो बार नहीं हर महीने इन्वेस्ट करें
साल में एक, दो बार इन्वेस्ट करना उतना ज्यादा फायदा नहीं देगा जितना की नियमित इन्वेस्ट करना फायदा देगा। हर महीने इन्वेस्ट करना करने का लक्ष्य पूरा करने पर बहुत ही अच्छा परिणाम देखने को मिलता है।
रिस्क भी लेनी पड़ेगी
जिस तरह हमारे जीवन की कोई गारंटी नहीं होती। हम हर काम रिस्क लेकर करते हैं वैसे ही इन्वेस्टमेंट में हर कदम पर रिस्क लेने की क्षमता होना जरूरी है। फाइनेंस, जॉब की सिक्योरिटी, सैलेरी, इनकम यह सारी बातें ध्यान में रखें।
उम्र को देखकर इन्वेस्ट करेंगे तो होगा फायदा
इन्वेस्टमेंट करने के लिए 20 से 45 की उम्र अधिक लाभ देगी। रिटायरमेंट के वक्त ज्यादा रिस्क लेनी की छमता नही रहती। चयन करना आपके हाथ में है, कि आपको कब और कैसे कौन सा इन्वेस्टमेंट करना है। शुरुआत में कम रिस्क लेकर शुरुआत करें जैसे बैंक फिक्स डिपाजिट, म्यूच्यूअल फण्ड में सेविंग करें। लंबे समय के लिये हाइब्रिड म्यूच्यूअल फण्ड, ELSS फण्ड में इन्वेस्ट करें (ELSS – ये टैक्स बचाने में सहयोगी होगा)।
ध्यान रखे
पैसों की शुरुआत में अलग-अलग जगह इन्वेस्ट करें। जिससे एक इन्वेस्टमेंट में नुकसान होने से दूसरा इन्वेस्टमेंट ख़राब नहीं होगा। अलग अलग जगह इन्वेस्टमेंट करने के लक्ष्य से इन्वेस्टमेंट के खतरे को कम करा जा सकता है। शुरुआत में रिस्क संभल कर लें। सारी बातों को ध्यान में रखकर इंवेस्टमेंर प्लान करे क्योंकि आपने अभी-अभी इन्वेस्ट करना शुरू किया है। अपने खर्चे, बजट, इनकम को ध्यान में रखकर अपना इन्वेस्टमेंट करें। इन्वेस्टमेंट करने से पहले फाइनेंशियल एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
पॉलिसी में घोटाला होने पर क्या करें
इन्वेस्ट करने से कुछ समय बाद आपको कोई गड़बड़ लगे तो पॉलिसी तुरंत लौटा दे और आप की समय सीमा पूरी हो गई है, तो पेड- अप पॉलिसी से कर सकते हैं। दस वर्ष वाली पॉलिसी में आपको तीन वर्ष तक प्रीमियम चुकाएंगे। अगर इससे कम समय सीमा की पॉलिसी होती है, तो दो वर्ष के लिए चुकाएंगे। पैसो के अनुसार समय सीमा कम हो जाएगी और जब तक पूरी राशि जमा होगी तब प्रॉफिट वाली राशि आपको दी जाएगी। साथ ही इसे समय सीमा खत्म होने से तीन साल पहले बंद करते हैं, तो आपको घाटा होगा।
सीनियर सिटीजन को बैंकों में इन्वेस्टमेंट करने से बचना चाहिए। वहां इंश्योरेंस कंपनियों के साथ टाई अप के कारण इंश्योरेंस प्रोडक्ट बेचे जाते हैं। हो सकता है नुकसान दायक साबित हो।
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी
सिंगल प्रीमियम पॉलिसी यूलिप हमेसा ही फिक्स डिपाजिट कर मिस सैलिंग करती है। इसमें ज्यादा रिटर्न और टैक्स के फायदे के दावे किए जाते हैं, जो कि बाद में गलत साबित होते हैं और हमें नुकसान ही भुगतना पड़ता है। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर ही सेविंग और इन्वेस्टमेंट करें। सारी बातों को समझकर ही कदम उठायें।