मानसून के सीजन में किस प्रकार कोरोनावायरस पहले का इसके बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। वैज्ञानिकों ने ऐसा कहा था कि गर्मी की वजह से कोरोनावायरस टिक नहीं पाएगा और जल्दी खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। भारत में मई और जून में संक्रमण काफी तेजी से बढ़ा है। कई वायरस मौसमी होते हैं जैसे कि इनफ्लुएंजा कम तापमान में अधिक प्रभाव में रहता है। चिकन पॉक्स जैसी बीमारी मौसम के हिसाब से बदलती है और इसी के साथ रोटावायरस भी मौसम के हिसाब से बदल जाते हैं। ऐसा क्यों होता है इसके बारे में फिलहाल किसी को नहीं पता है। मच्छरों से फैलने वाली बीमारी भी ज्यादातर मानसून के समय ही फैलती हैं।
घट सकता है ट्रांसमिशन
संक्रमण बीमारी तीन फैक्टर पर निर्भर करती है। इसका सबसे पहला फैक्टर मौसमी बदलाव होता है। दूसरा होता है ह्यूमन बिहेवियर पेटर्न और तीसरा वायरस के लक्षण।
ऐसे तीन कारण हैं, जो बताते हैं कि बारिश में कोरोनावायरस बढ़ भी सकता है।
- बारिश की वजह से मौसम में नमी आ जाती है और इस समय वायरस का सक्रिय रहने का खतरा माना जाता है। बंद कमरे में इस प्रकार का संक्रमण अधिक हो सकता है। एयरोसोल ट्रांसमिशन का खतरा भी बढ़ जाता है।
- बारिश के मौसम में डेंगू और मलेरिया भी होता है। यह बीमारी भी शुरू में कोरोना से ही लक्षण दिखाती है। यदि ऐसे समय में अधिक मरीज अस्पताल जाएंगे तो संक्रमण भी बहुत बढ़ जाएगा।
- कोरोनावायरस सबसे अहम है मास्क और टू व्हीलर में सफर करते समय बारिश के मौसम में यह भीग जाएगा। विशेषज्ञों के हिसाब से सूखा मास्क ही सही होता है।
बारिश में खतरा कम होने के लक्षण
- बारिश में तापमान घट जाता है और ऐसे में ऐसी चलाना भी नियमित तौर पर काफी कम रहता है। इस कारण से माना जा रहा है, कि दफ्तर जैसी जगह में ट्रांसमिशन कम रहेगा।
- संक्रामक बीमारियों में थूकना काफी बुरा होता है और बारिश में ऐसी गंदगी कम हो पाती है। इसकी वजह से वायरस का खतरा कम माना जा रहा है।
आईआईटी की स्टडी
आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसरों द्वारा किए गए अध्ययन में यह पता चला कि मॉनसून में कोरोनावायरस का खतरा ज्यादा है। इसका मुख्य कारण यह है, कि गर्मी में खांसने से निकलने वाले पार्टिकल्स आमतौर पर जल्दी सूखते हैं लेकिन ठंड में नमी के कारण यह ज्यादा देर तक रहते हैं। यह अध्ययन 10 अप्रैल के बीच हुआ और इसमें 6 शहरों के तापमान शामिल थे।
वायरस को मारने वाले सेल्स अच्छी नींद से मिलते हैं
खराब नींद की वजह से कई नकारात्मक असर होते हैं और 7 से 8 घंटे की नींद t-cells को मजबूत करती है। यह वाइट ब्लड सेल्स में आती है और वायरस को मिटाने के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी नींद का सीधा असर शरीर पर होता है और इसके लिए आपको सोने, जागने और खाने का समय निर्धारित करना होगा जिससे हमारी बॉडी क्लॉक सही बनी रहे। संक्रमण से बचने के लिए यह बहुत आवश्यक है। यदि किसी कारणवश आपकी नींद छूट गई है, तो इसको दोबारा पाने का एक ही तरीका है, कि आप फिर से वह काम शुरू कर दें जिससे आपकी बॉडी क्लॉक एक्टिव हो जाए। जैसे अगर आप एक्सरसाइज किया करते थे तो आप अभी भी घर में ही 10 मिनट चक्कर लगाकर या फिर से शुरू कर सकते हैं।
It is being said that Temperature playing a big role in the spread of Coronavirus