भारत में रियल्टी कंपनियों का संगठन क्रेडाई ने उनके 20 हजारे डेवलपर से कहा कि वह चीन के सामान पर निर्भर ना रहें। वे भारत की चीजों को ज्यादा बढ़ावा दें तो बेहतर है। यह सब बातें क्रेडाई ने तब कही है, जब भारत और चीन के बीच विवाद काफी बढ़ चुका है।
चीन के सामान का बहिष्कार
हाल ही में बलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। इस जगत में हमारी सेना के कर्नल और 20 जवान शहीद हो गए थे। इन सब बातों के बीच पूरे देश में चीन विरोधी भावनाएं चल रही है। कई संगठन मोहित उठा चुके हैं जिससे चीन के सामान का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जा सके। देश में अलग-अलग शहरों में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे चीन के सामान का बहिष्कार किया जा सके।
स्वदेशी उत्पादों में प्रोत्साहन
क्रेडाई आई का एक बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्र में एकजुटता बनाने के लिए और गलवान घाटी में हमारे जवान जो शहीद हुए उनके श्रद्धांजलि के लिए, उन्होंने उनके सदस्यों को चीन के सामान पर निर्भर नहीं रहने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा है, कि वह देश के सामान को अधिक प्रोत्साहन दें।
क्रेडाई उद्योगों से आग्रह
क्रेडाई ने सभी उद्योगों से यह कहा है, कि रियल एस्टेट डेवलपर कोई भी उत्पाद बनाने के लिए या उनके निर्माण के लिए स्थानीय स्तर पर आपूर्ति करें। इस पर क्रेडाई के अध्यक्ष सतीश मगर कहते हैं, कि वे डेवलपर्स से कह रहे हैं, कि वे चीनी सामानों पर अधिक निर्भर ना रहें। वे मेड इन इंडिया प्रोडक्ट को अपनाएं जिससे देश के लोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
क्रेडाई एक शीर्ष निकाय है
1999 में दी कनफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई थी। यह निजी डेवलपर के लिए सबसे अच्छा निकाय है। लगभग 20,000 से ज्यादा डेवलपर का यह प्रतिनिधित्व 21 राज्यों में करता है।
क्या बहिष्कार संभव हो पाएगा
हाल ही में चीन के प्रति देश के लोगों में गुस्सा बहुत अधिक बढ़ता जा रहा है। यह गुस्सा साफ तौर पर देखा जा सकता है। लोग चीनी उत्पादों को रोड पर आकर जला रहे हैं और चीन का झंडा और शी जिनपिंग के पुतले को जला रहे हैं। भारतीय सेना के जवानों का शहीद होना निश्चित रूप से देश के लिए बहुत दुख की बात है जिसकी वजह से दोनों देशों के संबंध में फर्क पड़ेगा।
इन सभी बातों से यह साफ देखा जा सकता है, कि लोगों में गुस्सा तो बहुत है। किंतु इस सब के बीच यह प्रश्न है, कि क्या चीन के सामान का बहिष्कार कर पाना संभव है। भारत में चीन कई सेक्टर में अपनी पकड़ बहुत मजबूत तरीके से बना चुका है। अंतरराष्ट्रीय कानूनों की वजह से सरकार चीन के सामान पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती है इसलिए केवल लोग ही इस विषय में कुछ कर सकते हैं। लोगों को खुद की ओर से चीन के सामान को खरीदना बंद करना पड़ेगा और स्वदेशी सामान को अधिक बढ़ावा देना होगा। इससे चीन की इकोनामी को बहुत गहरा नुकसान पड़ेगा।