पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण इनोवेशन पर कार्य हो रहा है। 1970 के दशक से दुनिया भर की बड़ी यूनिवर्सिटी और कंपनियां मानव मस्तिष्क और कंप्यूटर को जोड़ने पर कार्य कर रही हैं। हमारे दिमाग को बेव कंप्यूटर से जोड़ना। कंप्यूटर मानव मस्तिष्क के विचारों को नियंत्रित कर सकेगा। हमारा मस्तिष्क भी कंप्यूटर को नियंत्रित कर पाएगा। ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस बीसीआई यह संस्थान इस पर कार्य कर रहे हैं। कई सालों से इस तकनीक पर तेजी से कार्य चल रहा है। यह सुनने में तो आश्चर्य लगता है कि दिमाग से फोन और कंप्यूटर चलेंगे। अमेरिका की कंपनी और स्पेस एक्स और टेस्ला कंपनी के मालिक ऐसी डिवाइस पर कार्य कर रहे हैं। 2007 में इस प्रकार की तकनीक कंजूमर सेक्टर में प्रवेश कर चुकी थी। मस्तिष्क को वेब से जोड़कर दिमाग से ही बेबी या दूसरे डिवाइस को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
अमेरिका व्यवसायी, स्पेस एक्स और टेस्ला के स्टार्टअप कंपनी न्यूरालिंक ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो इस साल इंसानी दिमाग में इम्प्लांट करके ट्रायल शुरू करेगी। यह स्टार्टअप कंपनी चिप को लेजर की मदद से मस्तिष्क में फिट करेगी और इसके थ्रेड्स को मस्तिक से जोड़ेंगे। इसके बाद दिमाग से फोन या दूसरी डिवाइस को नियंत्रित किया जा सकेगा।
फेसबुक की बीसीआई तकनीक
फेसबुक ने इस प्रकार की तकनीक पर कार्य किया है। मस्तिष्क की हलचल से स्पीच को डिकोड कर लिया है। फेसबुक की बीसीआई तकनीक भी इस क्षेत्र में तेजी से कार्य कर रही है। फेसबुक को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। मोबाइल या कंप्यूटर पर यूजर्स जो लिखना चाह रहा है या बोलना चाह रहा है, वह मोबाइल या कंप्यूटर पर बिना हाथ लगाए टाइप हो जाएगा। यह सब मस्तिष्क की हलचल से स्पीच को डिकोड करने से संभव हुआ।
मनुष्य को इस तकनीक से लाभ
- कंप्यूटर और मानव दिमाHuman minds to control computers and phone. Now no typing is necessaryग को बेव से जोड़ने से आम आदमी भी प्रभावित होगा। इस प्रकार की डिवाइस बनने से जो व्यक्ति किसी बीमारी की वजह से बोल नहीं पाता या पैरालिसिस का शिकार है, उसके दिमाग में लगी चिप उसकी बात बता पाएगी। हम ऐसे व्यक्ति के दिमाग में चल रहे विचारों और उसकी सोच को समझ पाएंगे। ऐसी चिप से कई प्रकार के प्रयोग संभव हो सकेंगे।
- ऐसी डिवाइस बच्चों के मस्तिष्क में चल रहे विचारों को समझने में भी मदद करेगी। बच्चे का ध्यान पढ़ाई की तरह क्यों नहीं लग रहा। बच्चों की मानसिक स्थिति को समझ सकेंगे। इस क्षेत्र में चीन ने ऐसी डिवाइस बच्चों के लिए बना ली है।
- दिमाग से चलने वाली चिप क्यों बनने से ड्राइवरलेस कार बनाना आसान हो जाएगा। गैजेट्स को घर बैठे नियंत्रित कर सकते हैं। कई तरह के ड्रोन और कंप्यूटर को घर बैठ कर ही नियंत्रित किया जा सकता है।
ब्रेन सेंसर की क्षमता
ब्रेन सेंसर का उपयोग भी दिमाग का डेटा उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। न्यूरो स्काई कंजूमर वियरेबल्स कंपनी ने ब्रेन सेंसर बनाए हैं जो यूजर को उसके दिमाग के डेटा उपलब्ध कराकर स्मार्टफोन से पढ़े जा सकते हैं। माइंडवेव हैंडसेट भी इसी प्रकार कार्य करता है। यह एक प्रकार का प्रोडक्ट है जो हैंडसेट ब्रेनवेव के चैनल को मॉनिटर करता है। इस हैंडसेट की मदद से यह पता चलता है कि किसी व्यक्ति में सीखने और समझने की कितनी क्षमता है। ऐसे ही कई डिवाइस हैं, जो एकाग्रता का पता लगाते हैं।