Friday, November 22, 2024
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अद्भुत है महाबलीपुरम की रहस्यमय बैलेंसिंग बॉल

by Divyansh Raghuwanshi
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पूरी दुनिया रहस्यों से भरी हुई है। तमिलनाडु शहर में एक प्राचीन पत्थर मौजूद है। 250 किलो से ज्यादा वजन का है 20 फीट ऊंचा और 15 फीट चौड़ा है। ढलान पर टिका हुआ है पत्थर अपनी जगह से कभी नहीं हिलता। आज तक यह रहस्य कोई नहीं बता पाया यह पत्थर आया कहां से। पत्थर का निर्माण किसने किया। पहली बार इस रहस्य के बारे में 1908 पता चला महाबलीपुरम के नाम से प्रसिद्ध यह बेहद खूबसूरत स्थान है। ग्रेविटी को चुनौती देने वाला यह पत्थर है। यह रहस्यमय ब्लेसिंग बॉल महाबलीपुरम तमिलनाडु में स्थित है। यह अद्भुत और अकल्पनीय दृश्य लोगों का मन मोह लेता है।

पत्थर का वैज्ञानिक दृष्टिकोणIMG 20200406 002442

भूवैज्ञानिक प्राकृतिक तौर पर मानते हैं कि यह तथ्य सामान्य आकार का बना था। चट्टान किसी गोलाकार पत्थर का आधा हिस्सा ही दिखाई देता है, आधा हिस्सा कुत्रा हुआ है यह किस प्रकार है पता नहीं। वैज्ञानिक कहते हैं कि प्राकृतिक घटक द्वारा बनी यह चट्टान है। इसका कारण गुरुत्वाकर्षण भी हो सकता है। गुरुत्वाकर्षण के कारण छोटे क्षेत्र पर संतुलन बनाने की अनुमति प्रदान करता है। घर्षण से फिसलने से रोकने के लिए किया जाता है।

लोगों की माने तो यह पत्थर 12सौ वर्ष से यहां पर है। इस पत्थर को कृष्णा बटर बॉल के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने बचपन में इस पत्थर पर थोड़ा सा मक्खन गिरा दिया था जो आज के समय में विशाल पत्थर का रूप ले चुका है। इस कारण इसे श्री कृष्ण के माखन का नाम दिया गया है। यह चट्टान केबल 4 फीट से भी कम बेस पर खड़ी है। तमिल में पत्थर का आकाश कहते हैं। लोग मानते हैं कह बॉल स्वर्ग से आई है।

पत्थर गिराने का प्रयासIMG 20200406 002428

इस चमत्कारी पत्थर को प्रशासन द्वारा गिराने की भी कोशिश की गई। वर्ष 1960 में मद्रास ऑर्थोलॉजी के गवर्नर द्वारा एक फैसला दिया गया। इस फैसले में इस चट्टान को शहर की सुरक्षा के लिए खतरनाक माना गया। शहर की सुरक्षा को देखते हुए पत्थर को हटाने का आदेश दिया गया। प्रशासन ने सात हाथियों की मदद से इस पत्थर को हटाने की कोशिश की। इस चट्टान को हटाने की कोशिश नाकाम रही। इस चमत्कारी चट्टान को अपने स्थान से 1 इंच भी नहीं हिला पाए। वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टि से गुरुत्वाकर्षण का कारण है या कोई चमत्कार समझ नहीं आता। इतना विशाल पत्थर कोने पर टिका हुआ है लेकिन आज तक कोई नुकसान नहीं हुआ। अपने स्थान से हिला भी नहीं। यह सचमुच वह सही है की महाबलीपुरम में यह पत्थर कहां से आया।

वैज्ञानिक अपने आधार पर खोज करते रहते हैं लेकिन बेसिंग बाल का रहस्य नहीं सुलझा पाए। इसे हम देवताओं द्वारा छोड़ी गई शक्ति माने या वैज्ञानिक दृष्टि से गुरुत्वाकर्षण का कारण। भारत तो ऐसे अद्भुत रहस्यों से भरा पड़ा। आध्यात्मिक और धार्मिक दोनों ही प्रकार से भारत में संपन्नता है। हाथियों का दल भी इसे नही हटा पाया। यह चमत्कारी पत्थर तमिलनाडु की अद्भुत धरोहर है। ईश्वर के प्रत्यक्ष प्रमाण इन घटनाओं द्वारा मिल जाते हैं। अगर ईश्वर में विश्वास करते हैं तो चमत्कार समझे और वैज्ञानिक दृष्टि से सोचते हैं तो गुरुत्वाकर्षण का कारण माने। यह सब आपकी सोच और दृष्टि पर निर्भर है।

 

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