Friday, November 22, 2024
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प्रॉपर्टी में बेटी को भी मिलेगा बराबर हक

by Divyansh Raghuwanshi
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संतान का मतलब बेटा और बेटी दोनों होते हैं। माता पिता की संपत्ति पर सिर्फ बेटों का अधिकार क्यों माना जाता है। एक तरफ तो समाज बराबरी का हक देना चाहता है, दूसरी तरफ अपनी संपत्ति में बेटी को अधिकार देने में आनाकानी करता है। समाज के इस दोहरे रवैए का सामना शादीशुदा बेटियों को भुगतना पड़ता है। जिन बेटियों के माता पिता नहीं होते हैं उन्हें तो मायके पक्ष से उम्मीद ही खत्म हो जाती है।

हिंदू उत्तराधिकार कानून 2005432b2c25a9651d4a3a1837f58ed47aad

1956 के कानून को बदल कर 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून लागू हुआ जिसमें पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबर का हिस्सा दिया गया। माता पिता की वसीयत पर बेटा और बेटी दोनों का बराबर का हक होता है। बेटी के शादीशुदा होने से इसका कोई संबंध नहीं होता। पिता की खरीदी हुई वसीयत पर बराबर का हिस्सा होगा। संपत्ति में अधिकार देने से मना करते हैं तो बेटियां मुकदमा दायर कर सकती हैं।

पिता के निधन के बाद प्रॉपर्टी का बंटवारा shutterstock 371809282

पिता के दुनिया से जाने के बाद प्रॉपर्टी ट्रांसफर मैं बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो बेटों के दबाव में मां भी बेटी को प्रॉपर्टी में अधिकार नहीं देना चाहती। अचल संपत्ति का गिफ्ट डीड कराना आवश्यक है। गिफ्ट डीड का रजिस्टर न कराने पर उसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। बेटी उस चुनौती पर अपना अधिकार पेश कर सकती है। अगर मां गुस्सा नहीं देना चाहती तो मृतक की वसीयत का निपटारा कानून की मदद से होगा। पति पत्नी और बच्चों का बराबर का हिस्सा होता है।

एनओसी या नो – ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेटNOC 5 12 18

पिता की वसीयत को उनकी मृत्यु के बाद वारिसों में बराबर बांट दिया जाता है। बच्चे मां के नाम पर ट्रांसफर करने के लिए उन्हें एनओसी दी जाती है। घर को बेचने से रोकने के लिए यह प्रावधान पर निर्भर करेगा। मां के नाम पर प्रॉपर्टी ट्रांसफर हुई है तो एनओसी में प्रॉपर्टी के लेन-देन का पूरा हक माता का ही है। बच्ची उसमें दखल नहीं कर सकते। मां को प्रॉपर्टी का क्या करना है इसका पूरा अधिकार होता है।

बेटियों के लिए सुरक्षा कवच की संपत्तिdaughters1024 030317020450

बेटियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार ने लगे तो उनकी ससुराल में स्थिति बेहतर हो जाएगी। उन्हें फाइनेंसियल सपोर्ट रहेगा। शादी के बाद ससुराल में दहेज को लेकर प्रताड़ित किया जाता है। लड़की के पास स्वयं की संपत्ति होगी तो वह है अच्छे से अपना जीवन बिता सकती है। पुरखों की शक्ति कपूर की बेटी दावा करने का पूरा अधिकार रखती है। माता पिता को स्वयं ही बेटियों को मालिकाना हक देना चाहिए। आजकल तो बेटियों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पढ़ लिख कर बेटियां बेटों से भी ज्यादा काबिल बन रही है। समाज के दोहरे रवैया का सामना बेटियों को करना पड़ता है। 

बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है। आज भी संपत्ति में अधिकार लेने से पहले डरती हैं। मायके से उनका रिश्ता ना खत्म हो ऐसा सोचकर संपत्ति में बटवारा नहीं चाहती। अगर बेटे संपत्ति बांटते हैं तो किसी को कोई एतराज नहीं होता। बेटी को लेने पर परिवार से रिश्ता खत्म कर देता है। समाज के ऐसे कई प्रश्न है इनका सामना आज भी बेटियां कर रही हैं। यह समाज अपनी मर्जी से बेटे और बेटी को बराबर का हक देगा। कानून तो बने हैं लेकिन समाज के डर से बेटियां फैसला नहीं ले पाती।

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