Tuesday, November 5, 2024
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शिमला की इस टनल के आस पास जाने वालो को नही छोड़ता भूत

by Vinay Kumar
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आज दुनियाभर में न जाने कितने ही ऐसे किस्से और कहानियां है जो दिल दहला देने वाली है, इन कहानियों को जान कर तो ऐसा ही मालूम होता है कि भूत और आत्माएं सच में मौजूद होती हैं। लेकिन इन बातों को कुछ लोग मानते हैं और कुछ इन्हे दिमाग का वहम भी कहते हैं। ऐसी ही एक सच्ची कहानी है शिमला के बड़ोग रेलवे स्टेशन की।

शिमाला जो घूमने के लिए देश में नहीं बल्कि दुनिया में बहुत मशहूर है लेकिन क्या आप यंहा के रेलवे स्टेशन बड़ोग की टनल नंबर 33 के आस पास गए हैं, अगर नहीं तभी शायद आपका भूत और आत्माओं पर कोई यकीन नहीं है। लेकिन कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस टनल से गुजरता है तो उसे एक नाकारत्मक ऊर्जा का एहसास होता है जो बेहद डरावनी है। आज हम अपने इस लेख में आपको इसी टनल के पीछे का इतिहास बताएंगे, कि आखिर क्यों यह टनल मानी जाती है भूतिया

क्या है इसकी कहानी

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इसके पीछे का इतिहास आजादी से काफी पहले का है। बात है 1898 की जब ब्रितानी हुकूमत शिमला में अपना सराय बनाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने एक योजना की शुरूआत की, इस विकास योजना में शिमला कालका लाइन भी थी। इस लाइन को बिछाने के बीच में एक बड़ पहाड़ आ रहा थी। जिसे तोड़े बिना रेलवे लाइन बिछाना असंभव था। इसी पहाड़ को तोड़ने का कॉन्ट्रेक्ट यंहा के नामी ब्रिटिश इंजीनियर कर्नल बड़ोग को दी गई थी।

मजदूर राह भटक गए

Barog Tunnel

कर्नल बड़ोग ने पहाड़ तोड़ने के लिए मजदूरो को दो अलग अलग सिरो से खुदाई करने को कहा और फिर उन्हे भीच में मिलना था जिससे टनल का काम पूरा हो सके। हालांकि उस समय पहाड़े तोड़ने के लिए एसिटलिन गैस का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन कर्नल बड़ोगा ने मजदूरो से ही खुदाई कराना ठीक समझा। काफी समय बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं हुआ और एक सिरे से दूसरे सिरे के बीच मजदूर भटक गए। इस काम में ब्रितानी हुकुमत का बहुत पैसा खर्च हुआ

टनल नंबर 33

Shimla Tunnel No

इसके बाद ब्रितानी हुकूमत ने न केवल कर्नल बड़ोग से काम छीन लिया बल्कि कर्नल बड़ोग पर एक रुपये का जुर्माना भी लगाया  इस अपमान को कर्नल बड़ोग सह नहीं पाए और उसी सुरंग में अपनी आत्महत्या कर ली। जिसे आज टनल नंबर 33 के नाम से जाना जाता है। इसके बाद ब्रितानी हुकूमत ने 1900 में फिर से खुदाई करवाया। इस बार उन्हें सफलता मिली और 1903 में शिमला से कालका को जोड़ने वाली लाइन बिछी।

लोहे का दरवाजा लगाया गया

Image result for barog shimla board at station

हालांकि, ब्रितानी हुकूमत को सफलता मिल गयी लेकिन कर्नल बड़ोग की आत्महत्या को भूल गए  इसके बाद कर्नल बड़ोग का काला साया आम लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया। इस टनल में लोहे का दरवाजा लगाकर ताला लगा दिया गया लेकिन अगले दिन ताला टुटा मिला। इसके बाद उस टनल के दरवाजे पर ताला नहीं जड़ा गया। वहीं, नए टनल का नाम कर्नल बड़ोग के नाम पर ही रखा गया।

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