Friday, November 22, 2024
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पॉलिसी धारको के लिए अच्छी खबर, क्लेम नियमों में किए गए अहम बदलाव

by Vinay Kumar
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बीमा कंपनियों की नाक में नकेल कसने का एक और इंताजम हो गया है। बीमा नियामक इरडा ने पॉलिसीधारकों को किसी तरह का कोई नुकसान न हो इसके लिए अब कुछ अहम फैसले लिए हैं। इन फैसलों की बदौलत अब पॉलिसीधार आपातकालीन स्थिति में ब्लैक लिस्टिड अस्पतालो में भी इलाज करा पाएंगे। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति इंश्योरेंस लेता है तो वह बीमारी में तीन महीने के भीतर भी अब क्लेम ले सकता है। दरअसल इससे पहले इंश्योरेंस कंपनी अक्सर किसी भी पॉलिसीधारक को पाॉलिसी लेने के तीन महीने बाद तक कोई क्लेम नहीं देती थी। इंश्योरेंस कंपनी की अब यह मनमानी नहीं चलेगी इरडा ने इस फैसले पर कहा कि न तो पॉलिसीधारक न ही कंपनी यह बता सकती है कि कब कोई व्यक्ति बीमार पड़ने वाला है।

यह हैं अहम बदलाव

ज्ञात हो की इरडा के इस फैसले से पहले अगर पॉलिसी धारक को तीन महीने के भीतर हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और सांस की बीमारी हो जाती थी तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने से मना कर देती थी। जिसकी वजह से अक्सर पॉलिसीधारक को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब इस फैसले के बाद सभी लोगों को इससे बहुत फायदा होगा। इसके अलावा इमरजेंसी जैसे नियम को लेकर भी कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। आपको बता दें पहले केवल एक्सीडेंट जैसी इमरजेंसी स्थिति में ही ब्लैक लिस्ट किए अस्पतालो में इलाज कराया जा सकता था। लेकिन अब हार्ट अटैक और स्ट्रोक आने की स्थिति में भी इन अस्पतालो में इलाज करा सकते हैं।

इसलिए होते हैं अस्पताल ब्लैक लिस्ट

आयुष्‍मान भारत के लिए नेशनल हेल्‍थ अथॉरिटी (एनएचए) ने कुछ अस्‍पतालों को उन मरीजों से चार्ज करने के लिए ब्‍लैकलिस्‍ट किया है, जो मुफ्त इलाज के हकदार थे। अस्‍पतालों को तब भी ब्‍लैकलिस्‍ट किया जाता है जब वे अनाप-शनाप तरीके से मेडिकल बिलों को बढ़ा देते हैं। इसके अलावा, प्राइवेट और पब्लिक सेक्‍टर की इंश्‍योरेंस कंपनियों के पास ब्‍लैकलिस्‍टेड कंपनियों की अपनी लिस्‍ट है। इन्हे तब इस लिस्‍ट में डाला जाता है जब इन्‍हें कुछ गलत करते पाया जाता है।

इरडा की कंपनियों को सलाह

इरडा ने इंश्योरेंस कंपनियों ने कुछ बीमारियों को भी पॉलिसी में कवर करने की सलाह दी है। इरडा ने कहा है कि बीमा कंपनियों को गर्भ निरोध संबंधी खर्चों को भी कवर करना चाहिए। इससे पहले नियामक से गर्भ निरोध, नपुंसकता और बांझपन के इलाज से जुड़े किसी मेडिकल कॉस्‍ट को छोड़ देने की अनुमति दी थी।

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