इसरो के द्वारा गगनयान मिशन लॉन्च किया जाएगा।इ लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है। इनकी ट्रेनिंग रूस में की जा रही है, जो शुरू हो चुकी है। अभी भारत के पायलटों की पहचान को उजागर नहीं किया जाएगा और इसके लिए सावधानी बढ़ती जा रही है। हमारी भारत के वायु सेना के पायलट इस मिशन के लिए चुने गए और उनकी ट्रेनिंग चल रही है। इसरो 3 क्रु मेंबर्स के साथ भारत की पहली महिला की शक्ल वाली हूमनॉयड व्योममित्रा को भी अंतरिक्ष में भेजने वाला है। गगनयान के मिशन से पहले रोबोट भी भेजे जाने वाले हैं।
इस मिशन को इसरो द्वारा 2022 में लांच किया जाएगा। यह एक मानव मिशन होगा जिसमें 3 क्रू मेंबर्स जाएंगे। गगनयान देश का पहला मानव मिशन होगा। इसके लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है जिनकी ट्रेनिंग रूस में हो रही है। इनकी ट्रेनिंग गागरिन कॉस्मोनॉट नामक ट्रेनिंग सेंटर में हो रही है। राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा की ट्रेनिंग भी यहीं से हुई थी। राकेश शर्मा हमारे देश के पहले अंतरिक्ष यात्री थे। इन यात्रियों की पहचान को गुप्त रखा गया है। जहां इन पायलट की ट्रेनिंग हो रही है, वह स्थान मास्को से कुछ दूर स्थित है। यूरी गागरिन जिन्होंने स्पेस में सबसे पहला कदम रखा था, उनकी प्रतिमा यहां लगी हुई है। यह टैनिंग लगभग 1 साल की होने वाली है। हालांकि, यह ट्रेनिंग 5 साल की कठिन ट्रेनिंग होती है लेकिन भारत को यह मिशन 2022 में अंजाम देना चाहता है इसीलिए यह सिर्फ 12 महीने की ट्रेनिंग होगी।
सीखनी होगी रूसी भाषा
इस मिशन को पूरी तरह से समझने के लिए इन्हीं सीखनी होगी रूसी भाषा क्योंकि सारी कोडिंग उसी भाषा में की गई है। मशीनों की कोडिंग रूसी भाषा में है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भाषा के साथ-साथ रूसी खाना की भी बड़ी चुनौती है। इसके लिए वह रूसी खाना खा रहे हैं। रूसी खाना हिंदुस्तानी खाने से पूरी तरह अलग खाना होता है। नॉनवेज खाना सख्त मना है। इसके अलावा उनको ट्रेनिंग बर्फ से ढकी जंगल और समुद्र में भी दी जाने वाली है।
लेनी होगी सर्वाइवल कोर्स
ट्रेनिंग का यह हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होगा। इसमें किसी भी तरह के संकट आने के समय बचने के तरीके सिखाए जाएंगे। इस ट्रेनिंग में उन्हें यह बताया जाएगा कि अगर उनका यान जंगल में उतरता है, तो वह क्या कर सकते हैं। इसके लिए वे मॉस्को के जंगल में ट्रेनिंग ले रहे हैं। ट्रेन की जगह कुछ इस प्रकार होंगी जैसे कि समुद्र में घास के मैदान में, बर्फ से ढके जंगलों में समुद्र और नदी के किनारे घास के मैदान में आदि। इस मिशन में किसी महिला को नहीं भेजा जा रहा है। इस मिशन में तीन क्रु मेंबर्स जाएंगे। इसरो यह मिशन 2022 में शुरू करेगा। उन्हें सर्वाइवल कोर्स के लिए रूस के इंस्ट्रक्टर के साथ 2 रात और 3 दिन के लिए कोर्स के लिए भी भेजा जाने वाला है। उन्हें अनजान जगह पर यदि स्पेसशिप पहुंचती है, तो उस समय कैसे बचाव करना है यह भी बताया जा रहा है।