Monday, November 25, 2024
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साल 2020-21 बजट टैक्स में दे सकता है राहत

by Vinay Kumar
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पूरे भारत की निगाहे 2020-21 के बजट पर लगी हुई हैं। इस बजट के आने से पहले ही कई अनुमान लगाए जा रहे हैं, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बजट में मध्यवर्गीय परिवारो के लिए बहुत कुछ अच्छा हो सकता है, उनकी क्रय शक्ति को बढ़ाने के लिए टैक्स में काफी राहत मिल सकती है। साथ ही देश की ताजा अर्थव्यवस्था को देखते हुए कॉरपरेट टैक्स में भी कमी की जा सकती है।
पांच लाख से दस लाख रुपये तक की आय पर इतना हो सकता है टैक्स

पहले स्लैब पर शायद न हो लाभ

विशेषज्ञो का कहना है कि 2.50 लाख से 5 लाख तक सालाना कमाने वालों को तो शायद 5 फिसदी कर ही भरना पड़े, लेकिन 10 लाख से ज्यादा कमाई करने वाले लोगो को जहां आज 20 फिसदी टैक्स भरना होता है उसे घटाकर 10 फिसदी किया जा सकता है। इसी तरह 10 लाख से 25 लाख रुपए कमाने वाले लोगो को 30 फिसदी टैक्स भरना पड़ता है जिसे घटाकर 20 फिसदी पर लाया जा सकता है।

एक करोड़ से ज्यादा कमाई वालो को लग सकता है झटका

कुछ विशेषज्ञो ने 25 लाख से एक करोड़ रुपए तक कमाने वाले लोगों पर कर में कमी करने की पैरवी की है, वह चाहते हैं कि इतनी कमाई करने वाले लोगों को केवल 25 प्रतिशत ही कर देना हो। जबकि एक करोड़ से अधिक कमाने वालों के लिए यह 30 प्रतिशत होना चाहिए। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि एक करोड़ से ज्यादा कमाई करने वाले लोग 30 फिसदी टैक्स आसानी से भर सकते हैं। वहीं इससे कम कमाने वाले लोगों को सशक्त करना बेहद जरूरी है।

होम लोन में ज्यादा छूट मिलने की वकालत

होम लोन की सूरत मे आज आम जन को 2 लाख रूपए तक छूट मिलती है जबकि उसने चाहे कितना ही बड़ा होम लोन क्यों न ले रखा हो, ऐसे में विश्लेषको का कहना है कि इसमें भी टैक्स छुट को बड़ाना चाहिए। आपको बता दे चाहे होम लोन एक हो या दो लेकिन टैक्स पर छूट केवल दोनो पर मिला कर भी 2 लाख रुपए ही मिलती है। इसी छूट को बड़ाने की पैरवी बहुत जोरो शोरो से चल रही है। आज देश का रियलस्टेट सेक्टर लगभग ठप पड़ा है जिसे देखते हुए ही टैक्स में कमी करने की मांग उठाई जा रही है।

आयकर की  जगह  लाया जा सकता है प्रत्यक्ष कर संहिता

इस साल बजट में आयकर कानून की जगह प्रत्यक्ष कर सहिंता को भी लाया जा सकता है। आपको बता दे कि इससे जुड़ी समिती ने मध्य वर्ग के लोगो को टैक्स में राहत दी जाए इसकी सिफारिश की थी। इस समिती का कहना है कि कर में कमी करने के बाद कुछ सालो के लिए राजस्व में घाटा जरूर हो सकता है लेकिन इसके फायदे लम्बे समय में दिखाई देंगे।

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