25 साल की उम्र में चन्द्र शेखर आजाद इस देश के लिये बहुत कुछ कर गये थे. जब चंद्र शेखर आजाद 25 उम्र में देश के लिए शहीद हो गये. आज उनकी जयंती है. चन्द्र शेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था. एक उम्र जो बड़े बड़े सपनों देखने की होती है उस उम्र में चंद्र शेखर आजाद क्रांतिकारी हो गये थे. चंद्र शेखर आजाद ने बनारश के पाठशाला से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त की. महज उम्र जब 14 साल के आस पास की रही होगी उनकी जब उन्होंने देश की आजादी में लड़ने में शामिल हो गये थे. 1920 में आजाद गांधी जी से जुड़े और असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और फिर आंदोलन के चलते गिरफ्तार हो गये.
कैसा पड़ा इनका नाम चन्द्र शेखर आजाद.
चन्द्र शेखर आजाद को जब जज के सामने कोर्ट में ले जाया गया तो जज ने उनसे उनका नाम पूछा. तब चन्द्र शेखर ने कहा , मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता है और मेरा निवास यानी को मेरे रहने का घर जेल है. इस बात को सुनकर जज बहुत गुस्सा हो गया और जज ने चन्द्र शेखर आजाद को 15 कोड़ो की मार खाने की सजा दे दिया. इस तरह से उनका नाम चन्द्र शेखर आजाद हो गया. गांधी जी ने जब 1922 में आजादी अहिंसा का आंदोलन समाप्त किया तब चन्द शेखर आजाद राम प्रसाद बिस्मिल के संगठन से जुड़ गये. जहाँ से इन्होंने अपने रास्ते बदल लिये और आजादी के लिये धन जुटाने के लिये सरकारी खजानों को लूटने लगें. चन्द्र शेखर आजाद का अंतिम वक्त उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में बीता. इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में वो 27 फरवरी 1931 को अपने साथियों के साथ अंग्रेजों से लड़ने के लिए योजना तैयार कर रहे तभी अंग्रेजो ने उन पर हमला कर दिया जिसके बाद उन्होंने भी अंग्रेजों के ऊपर गोलियां चलाई. चन्द्र शेखर आजाद ने संकल्प लिया था कि वो कभी अंग्रेजो के हाथों नही मारे जाएंगे. गोली चलाते वक्त जब उनकी पिस्टल में एक गोली बची तो उन्होंने स्वयं को गोली मार ली और शहीद हो गये.