जयपुर शहर के दिव्यांगों के लिए नारायण सेवा संस्थान उदयपुर और जयपुर आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में निवारू झोटवाड़ा में आज दिव्यांगों के लिए निशुल्क कृत्रिम अंग वितरण शिविर का आयोजन किया गया।
संस्थान द्वारा 12 मार्च को जयपुर में दिव्यांग भाई-बहनों के लिए कृत्रिम अंग माप शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें आज 12 व्यक्तियों के पैर, 4 व्यक्तियों के कृत्रिम हाथ लगाए गए।
नारायण सेवा संस्थान ने आयोजित किया निशुल्क कृत्रिम अंग वितरण शिविर
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि ऐसे दिव्यांग भाई-बहन जो किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण हाथ-पैर कट जाने के कारण अंग-विहीन हो गए हैं, ये दिव्यांग भाई अपने पैरों पर खड़े होकर अपने हाथों से किसी भी तरह का काम कर खुशी महसूस कर रहे हैं।
लॉकडाउन के बाद नारायण सेवा संस्थान ने अनाथ, गरीब, वृद्ध और वंचित लोगों को 29798 निशुल्क राशन किट, 94502 मास्क वितरण और एनएसएस कोरोना मेडिसिन किट वितरित कर रहा है।
क्या हैं आर्टिफिशियल अंग?
आर्टिफिशियल अंग शरीर के अंग के समान ही दिखाई देने वाले कृत्रिम अंग होते हैं। जब किसी व्यक्ति को किसी हादसे में अंग का नुक़सान होता है जैसे हाथ पैरों का कट जाना इत्यादि तो ऐसे में आर्टिफिशियल अंग काम आते हैं।
आर्टिफिशियल अंग के द्वारा दिव्यांगों को नए अंग दे दिए जाते हैं। ये अंग शरीर के पुराने अंगों के समान ही कार्य करते हैं। यह नारायण सेवा संस्थान की तरफ़ से बहुत बड़ी मदद है।
वैसे तो आर्टिफिशियल अंग बहुत महंगे मिलते हैं लेकिन कभी कभी नारायण सेवा संस्थान और अन्य संस्थाओं की तरफ़ से इसे मुफ़्त में दिव्यांगों को दिया जाता है।
आर्टिफिशियल अंगों का महत्व क्या है?
जैसा कि हमने देखा कि कुछ लोग किसी हादसे में अपना कोई महत्वपूर्ण अंग जैसे हाथ या पैर गंवा बैठते हैं। ऐसे में उनके उस अंग को दोबारा कैसे ठीक किया जाए इसके लिए आर्टिफिशियल तकनीक का सहारा लिया जाता है।
ऐसे लोग जो हादसे में हाथ या पैर गंवा चुके हैं उनको आर्टिफिशियल अंग की तकनीक के द्वारा नया अंग प्रदान किया जाता है। इसी के साथ ऐसे लोग जो किसी हादसे में बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए हैं और किसी कारणवश उनके हाथ या पैर को काट दिया जाता है उन्हें भी आर्टिफिशियल अंग दिए जा सकते हैं।
आपको बताते चलें कि हादसे में ज़ख़्मी होने के बाद इन अंगों को इसलिए काट दिया जाता है ताकि इन्फेक्शन और ज़हर पूरे शरीर में ना फैल पाए। इन्फेक्शन को ख़त्म करने के लिए हाथ या पैर को डॉक्टर्स के द्वारा काट दिया जाता है।
उनके स्थान पर नया अंग लगाया जाता है जो कृत्रिम रूप से बनाया गया होता है। बात करें यदि इन अंगों के महत्व की तो ये अंग व्यक्ति की पुराने अंग के समान ही कार्य करने में मदद करते हैं।
वे लोग जो हादसे का शिकार होकर अपने हाथ पैरों को गंवा चुके हैं उनके लिए जीवन काफ़ी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें नए अंगों की आवश्यकता होती है।
आर्टिफिशियल अंग तकनीक के द्वारा उन्हें ना सिर्फ़ नये अंग दिए जाते हैं बल्कि पूरे जीवन के लिए एक नई उम्मीद और सहारा भी दिया जाता है। नारायण सेवा संस्थान की ओर से यह मानव जाति को एक बहुत बड़ी सौग़ात है।
इसका एक फ़ायदा यह भी है कि जब व्यक्ति किसी भी अनचाहे हादसे का शिकार होकर अपने अंगों को खो देता है तो ऐसे में वह निराशा में चला जाता है। इस निराशा से बचने के लिए कहीं न कहीं आर्टिफिशियल अंग की टेक्नोलॉजी काफ़ी महत्वपूर्ण है।
आर्टिफिशियल अंगों को शरीर में प्रत्यारोपित करके पुराने अंग की कमी पूरी की जा सकती है। इस तरह व्यक्ति को एक नार्मल ज़िंदगी देने में काफ़ी मदद मिलती है।
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