Tuesday, February 11, 2025
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कितना सीमित हो गया है हमारी आज़ादी का ज़श्न

by Nayla Hashmi
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दोस्तों, आज 15 अगस्त है! शायद आपको इस बात से हैरानी हो रही हो कि हम आज की तारीख़ क्यों याद दिला रहे हैं? हो भी क्यों न, भई हैवी वर्क लोड और बदलती लाइफ़ स्टाइल ने हमारे जीवन के अनेक पहलुओं को प्रभावित किया है और उनमें से हमारी संस्कृति भी एक है।

अगर ये कहा जाए कि हम अपनी संस्कृति को भुलाते ही जा रहे हैं तो ये सुनने में काफ़ी कड़वा लगता है। कई बार तो लोग इस पर वाद विवाद भी करने लगते हैं लेकिन हक़ीक़त ये है कि इस कड़ी सच्चाई को बदलने की हिम्मत किसी में नहीं है। आज हमारे लिए 15 अगस्त मात्र एक गैस्टर्ड छुट्टी बनकर रह गया है।

15 अगस्त है तो होता रहे। जैसे और दिन होते हैं वैसे ही आज का दिन भी आएगा और चला जाएगा। शायद यही सोच आज हम युवा पीढ़ियों में पनपने लगी है लेकिन अगर हमें रत्ती भर भी उन दिनों की झलक दिखला दी जाए जिन दिनों हमारा देश आज़ाद नहीं था तो शायद हम किसी भी त्योहार को उस लगन से नहीं सेलिब्रेट करना चाहेंगे जिस लगन से 15 अगस्त को।

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आज 15 अगस्त सिर्फ़ स्कूल और कॉलेजों में ही सेलिब्रेट किया जाता है। बच्चे 15 अगस्त को स्कूल और कॉलेजों में सेलिब्रेट करते हैं लेकिन जैसे जैसे वे बड़े होते जाते हैं उनके दिल में 15 अगस्त के लिए कोई ख़ास कोना नहीं बचता है। इसके लिए हम किसे ज़िम्मेदार ठहराएँ? वैसे किसी के ऊपर दोषारोपण करना उचित भी नहीं होगा क्योंकि हमें ज़रूरत है आज़ादी के दिन के सही मायने जानने की। तो आइए सही मायनों में अपने आज़ादी के दिन को ज़रा परखते हैं कि आज़ादी का दिन आख़िर क्यों इतना ज़रूरी है।

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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा भारत ना सिर्फ़ अंग्रेज़ों का गुलाम रहा है बल्कि इससे पहले कई विदेशी ताक़तों जैसा कि मुग़ल शासकों के भी अधीन रहा है। चलिए हम बात करते हैं मुगलों के शासन काल की। अब चूँकि भारत को ग़ुलाम बनाया गया था तो ज़ाहिर सी बात है कि भारतीयों के साथ अच्छे सुलूक की कल्पना करना भी बेकार है।

मुगलों के समय में भारत की स्थिति बहुत अच्छी थी लेकिन भारतीयों की नहीं। कहने का मतलब ये हैं कि मुगलकालीन राजाओं ने भारत को अनेक बहुमूल्य इमारतों से लाद दिया लेकिन जब बात भारतीयों की आयी तो उन्होंने इस ओर कुछ ख़ास ध्यान नहीं दिया।

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भारत में भले ही सोने चाँदी का अंबार लगा रहता था लेकिन भारतीयों को तब भी खाने के लाले पड़ते थे। ख़ैर मुग़ल क़ालीन राजाओं ने क्या किया क्या नहीं इसको छोड़ दें, आइए बात करते हैं नवभारत की यानी कि अंग्रेजों के समय के भारत की।

अंग्रेजों ने भारत वासियों पर कौन कौन से ज़ुल्म ढाए और कितने ख़ूनी कारनामे किए, वो तो हम गिना भी नहीं सकते हैं। आपको उनकी क्रूरता का एक छोटा सा नमूना बताते हैं। जलियावाला बाग़ हत्याकांड के बारे में तो आप सबने अवश्य सुना होगा अगर नहीं जानते तो हम आपको बताते हैं।

अंग्रेज़ों के बढ़ते हुए ज़ुल्म और अत्याचारों ने भारतीयों के मन में उनके ख़िलाफ़ नफ़रत भर दी। भारतीय अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए तैयार हो गए थे और जगह जगह पर आन्दोलन कर रहे थे। 13 अप्रैल 1919 को हज़ारों लोग जलियाँवाले बाग़ में इकट्ठे हुए। वे सभी आंदोलनकारियों के विचार सुनने आए थे और उनके साथ आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक थे। तभी बाग़ को घेरकर बैठे सैनिकों ने जनरल डायर के आदेश पर वहाँ मौजूद लोगों के ऊपर अंधाधुंध फ़ायरिंग कर दी।

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इस फ़ायरिंग के कारण क़रीब पच्चीस हज़ार लोग मारे गए। फ़ायरिंग से बचने के लिए कई लोगों ने कुएँ में छलांग लगा दी। भगदड़ में क़रीब 2-3 हज़ार लोग घायल हुए। कुएँ में छलांग लगाने वाले लोगों की लाशें बाद में कुएँ से बरामद भी की गई थीं।

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इस ख़ूनी कारनामे को अपनी आँखों से एक साहसी इंसान ने देखा था जिसका नाम उधम सिंह था। उधम सिंह ने लंदन जाकर जनरल डायर से इस ख़ूनी कारनामे का बदला लिया और गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उधम सिंह को भी शहीद कर दिया गया था।

ये तो सिर्फ़ एक घटना है। हमारा इतिहास ऐसी हज़ारों ख़ूनी घटनाओं से भरा है जो ब्रिटिश सरकार की नृशंसता को बताता है।

हमें आज़ादी कब मिली? तब मिली जब भारतीय जालियाँवाला बाग़ के साक्षी बने! तब मिली जब भरी जवानी में भगतसिंह को शहीद कर दिया गया। हमें अपनी आज़ादी की क़ीमत पहचाननी होगी इससे पहले कि भारत फिर से ग़ुलाम हो जाए!

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आज हम वेस्टर्न कल्चर के गुणगान करते रहते हैं और अपनी सभ्यता हमें पिछड़ी और दक़ियानूसी दिखायी देती है। ये हमारे लिए एक संकेत है कि हम अपनी पहचान से कितना सजग हैं! हम किसी की सोच नहीं बदलना चाहते बल्कि उन्हें उनकी अपनी चीज़ का अहसास कराना चाहते हैं इससे पहले कि वो बहुत दूर निकल जाए।

हमें आज़ादी मिली नहीं थी बल्कि करोड़ों लोगों के ख़ून ने दिलायी थी और उन करोड़ों में हमारे अपने सगे भी थे जिन्हें हमने भले ही ना देखा हो लेकिन हमारा अस्तित्व उन्हीं के कारण है।

अच्छा दोस्तों, अब विदा दें। कमेंट बॉक्स में हमें ये ज़रूर बताएँ कि आपके लिए आज़ादी के दिन के क्या मायने हैं?

 

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