हमारे समाज में औरत को देवी का स्थान दिया गया है। औरत के अनेक रूप हैं जो कि समय समय पर सामने आते हैं लेकिन उन सभी रूपों की फ़ितरत एक ही है और वो है त्याग! औरत चाहे जिस रूप में रहे वह त्याग अवश्य करती है।
अगर हम नेताओं की बात करें तो हमें अक्सर यह देखने को मिलता है कि वे मतलबी होते हैं लेकिन शायद ये बात मायावती के मामले में सच नहीं है। जी हॉं, बहन जी भले ही देश की कितनी बड़ी नेता क्यों न हों लेकिन उन्होंने लोगों के लिए जो त्याग किया है वह उन्हें एक सम्माननीय औरत बना देता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मायावती को चार बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री चुना जा चुका है। उनकी उपलब्धियों को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साफ़ साफ़ देखा जा सकता है लेकिन इतनी सफल नेता वास्तव में नेता नहीं बनना चाहती थी।
असल में मायावती सिविल सर्विसेज़ में जाना चाहती थीं और डीएम बनकर अपने देश की सेवा करना चाहती थीं। उनके गुरु कांशीराम ने उन्हें देश की सेवा करने का अवसर दिया लेकिन किसी और ढंग से!
कांशीराम ने बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना की और मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इस तरह मायावती नेता नगरी में प्रवेश कर गयीं।
जब मायावती से उनके अब तक कुंवारी रहने का कारण पूछा गया तो उन्होंने दिल छू लेने वाला जवाब दिया। उन्होंने बताया कि अगर वे शादी कर लेतीं तो वे घर गृहस्थी में फँस कर रह जातीं और जब वे अपनी ही समस्याओं में उलझ कर रह जाती तो फिर वे देश और अपने लोगों की सेवा किस प्रकार कर सकती थीं?
उनके इस जवाब में उनके एक बड़े त्याग की पुष्टि कर दी कि कैसे वे अपनी खुशियाँ त्यागकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं लेकिन विपक्ष ने उनके ख़िलाफ़ कम साज़िशें नहीं गयी की हैं।
समय समय पर विपक्ष ने मायावती पर यह इल्ज़ाम लगाया है कि उनके और कांशीराम के नाजायज़ संबंध हैं। ऐसी बातों पर मायावती ने कभी कोई ध्यान नहीं दिया और न ही इसके ख़िलाफ़ या इसके लिए कोई एक शब्द भी इस्तेमाल किया।
ख़ैर जो भी हो लेकिन उन्होंने शादी क्यों नहीं की ये अब हम सबको पता चल चुका है। अब हम देख सकते हैं कि औरत चाहे जिस रूप में रहे लेकिन वह त्याग करती ही है। आपका इस बारे में क्या ख़याल है आप हमें कमेंट् बॉक्स के ज़रिए बता सकते हैं।